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Showing posts from November, 2017

साक्षात इन लोगों ने देखा है हनुमान जी को

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श्री हनुमान जी सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और सर्वत्र हैं। बचपन में उन्होंने सूर्य को निकल लिया था। एक ही छलांक में वे समुद्र लांघ गए थे। उन्होंने समुद्र में राक्षसी माया का वध किया। लंका में घुसते ही उन्होंने लंकिनी और अन्य राक्षसों के वध कर दिया। साक्षात इन लोगों ने देखा है हनुमान जी को 13वीं शताब्दी में माध्वाचार्य, 16वीं शताब्दी में तुलसीदास, 17वीं शताब्दी में रामदास, राघवेन्द्र स्वामी और 20वीं शताब्दी में स्वामी रामदास हनुमान को देखने का दावा करते हैं। हनुमानजी त्रेता में श्रीराम, द्वापर में श्रीकृष्ण और अर्जुन और कलिकाल में रामभक्तों की सहायता करते हैं।

अगर हनुमान जी के यह ९ रहस्य नहीं जानते तो अभी जान ले

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शास्त्रों अनुसार हनुमानजी इस धरती पर एक कल्प तक सशरीर रहेंगे। आओ जानते हैं उनके बारे में कुछ चमत्कारिक बातें।  हिन्दुओं के प्रमुख देवता हनुमानजी के बारे में कई रहस्य जो अभी तक छिपे हुए हैं। 1. हनुमानजी का जन्म स्थान : कर्नाटक के कोपल जिले में स्थित हम्पी के निकट बसे हुए ग्राम अनेगुंदी को रामायणकालीन किष्किंधा मानते हैं। तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाते समय मार्ग में पंपा सरोवर आता है। यहां स्थित एक पर्वत में शबरी गुफा है जिसके निकट शबरी के गुरु मतंग ऋषि के नाम पर प्रसिद्ध 'मतंगवन' था। हम्पी में ऋष्यमूक के राम मंदिर के पास स्थित पहाड़ी आज भी मतंग पर्वत के नाम से जानी जाती है। कहते हैं कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमानजी का जन्म हआ था। श्रीराम के जन्म के पूर्व हनुमानजी का जन्म हुआ था। प्रभु श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व अयोध्या में हुआ था। हनुमान का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन हुआ था। 2. कल्प के अंत तक सशरीर रहेंगे हनुमानजी : इंद्र से उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान मिला। श्रीराम के वरदान अनुसार कल्प का अंत होने पर उन्हें उनके सा...

जानिए आखिर कौन था ये "अहिरावण"

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जानिए आखिर कौन था ये "अहिरावण"  अहिरावण पाताल में स्थित रावण का मित्र था जिसने युद्ध के दौरान रावण के कहने से आकाश मार्ग से राम के शिविर में उतरकर राम-लक्ष्मण का अपहरण कर लिया था।  अहिरावण एक असुर था। जब अहिरावण श्रीराम और लक्ष्मण को देवी के समक्ष बलि चढ़ाने के लिए विभीषण के भेष में राम के शिविर में घुसकर अपनी माया के बल पर पाताल ले आया था, तब श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराने के लिए हनुमानजी पाताल लोक पहुंचे और वहां उनकी भेंट उनके ही पुत्र मकरध्वज से हुई। उनको मकरध्वज के साथ लड़ाई लड़ना पड़ी, क्योंकि मकरध्वज अहिरावण का द्वारपाल था। मकरध्वज ने कहा- अहिरावण का अंत करना है तो इन 5 दीपकों को एकसाथ एक ही समय में बुझाना होगा। यह रहस्य ज्ञात होते ही हनुमानजी ने पंचमुखी हनुमान का रूप धारण किया। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरूड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख। इन 5 मुखों को धारण कर उन्होंने एकसाथ सारे दीपकों को बुझाकर अहिरावण का अंत किया और श्रीराम-लक्ष्मण को मुक्त किया। हनुमानजी ने अहिरावण का वध क...

जानिए रामायण काल के यह लोग महाभारत काल में भी मौजूद थे

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जानिए रामायण काल के यह लोग महाभारत काल में भी मौजूद थे  भगवान राम और श्रीकृष्ण के बीच लगभ दो हजार वर्ष का फासला है। रामायण का काल महाभारत के काल के पहले का काल है। रामायण काल के कुछ लोग महाभारत काल में भी पाए जाते हैं। सवाल यह उठता है कि यह कैसे संभव हुआ। हालांकि इसके जवाब भी है। आओ जानते हैं कि ऐसा कौन से लोग थे जो रामायण और महाभारत दोनों ही काल में मौजूद थे। जामवन्त : सतयुग में जामवंत : परशुराम और हनुमान से भी लंबी उम्र है जामवन्तजी कि क्योंकि उनका जन्म सतयुग में राजा बलि के काल में हुआ था। परशुराम से बड़े हैं जामवन्त और जामवन्त से बड़े हैं राजा बलि। कहा जाता है कि जामवन्त सतयुग और त्रेतायुग में भी थे और द्वापर में भी उनके होने का वर्णन मिलता है। जामवन्तजी को अग्नि पुत्र कहा गया है। जामवन्त की माता एक गंधर्व कन्या थी। सृष्टि के आदि में प्रथम कल्प के सतयुग में जामवन्तजी उत्पन्न हुए थे। जामवन्त ने अपने सामने ही वामन अवतार को देखा था। त्रेतायुग में जामवंत : त्रेतायुग में भी जामवन्त बूढ़े हो चले थे। राम के काल में उन्होंने भगवान राम की सहायता की थी। कहते हैं...

जानिए शिव जी के यह १०८ पवित्र नाम

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जानिए शिव जी के यह १०८ पवित्र नाम  भगवान शिव के 108 नाम 1.शिव – कल्याण स्वरूप 2.महेश्वर – माया के अधीश्वर 3.शम्भू – आनंद स्वरूप वाले 4.पिनाकी – पिनाक धनुष धारण करने वाले 5.शशिशेखर – चंद्रमा धारण करने वाले 6.वामदेव – अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले 7.विरूपाक्ष – विचित्र अथवा तीन आंख वाले  8.कपर्दी – जटा धारण करने वाले 9.नीललोहित – नीले और लाल रंग वाले 10.शंकर – सबका कल्याण करने वाले 11.शूलपाणी – हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले 12.खटवांगी- खटिया का एक पाया रखने वाले 13.विष्णुवल्लभ – भगवान विष्णु के अति प्रिय 14.शिपिविष्ट – सितुहा में प्रवेश करने वाले 15.अंबिकानाथ- देवी भगवती के पति 16.श्रीकण्ठ – सुंदर कण्ठ वाले 17.भक्तवत्सल – भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले 18.भव – संसार के रूप में प्रकट होने वाले 19.शर्व – कष्टों को नष्ट करने वाले 20.त्रिलोकेश- तीनों लोकों के स्वामी 21.शितिकण्ठ – सफेद कण्ठ वाले 22.शिवाप्रिय – पार्वती के प्रिय 23.उग्र – अत्यंत उग्र रूप वाले 24.कपाली – कपाल धारण करने वाले 25.कामारी – कामदेव के शत्रु, अंधकार को...