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अघोरियों के बारे में रहस्यमय और अनसुनी बातें जो किसी आम आदमी को पता नहीं

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         अघोर पंथ यह एक  हिंदू धर्म का संप्रदाय है। अघोर पंथ की उत्पत्ति के काल के बारे में अभी निश्चित प्रमाण नहीं मिले हैं, परन्तु इन्हें कपालिक संप्रदाय के समकक्ष मानते हैं। ये प्राचीनतम धर्म “शैव” (शिव साधक) से संबधित हैं। अघोरियों को इस पृथ्वी पर भगवान शिव का जीवित रूप माना जाता है। शिवजी के पांच रूपों है और इन में से एक रूप अघोर रूप है। अघोरी हमेशा से लोगों की जिज्ञासा का विषय रहे हैं। अघोरियों का जीवन कठिन और रहस्यमयी है । अघोरियों की साधना विधि सबसे ज्यादा रहस्यमयी है। उनकी अपनी शैली और विधान की अलग विधियां हैं। अघोरी मतलब जो घोर नहीं हो और जो  बहुत सरल और सहज हो। जिसके मन में कोई भेदभाव नहीं हो। अघोरी हर चीज में समान भाव रखते हैं। वे सड़ते जीव के मांस को भी उतना ही स्वाद लेकर खाते हैं, जितना स्वादिष्ट पकवानों को स्वाद लेकर खाया जाता है। १.  अघोरी तीन तरह की साधनाएं करते हैं।  १. शिव साधना  २. शव साधना   ३. श्मशान साधना             शिव साधना में शव के ऊपर पैर रखकर खड़...

महाभारत से जुडी रोचक अनसुनी बाते जो आपको हैरान कर देंगी

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             महाभारत की लोकप्रियता का अंदाजा इस  बात से लगाया जा सकता है की आज भी आप हर एक दो साल बात महाभारत के ऊपर बने टीवी सीरियल को अलग अलग चैनल पर देख सकते है. कहानी वही होती है लेकिन दिखाने के  तरीके अलग और फिर भी लोग इसे उतना ही पसंद करते है. हम सभी जानते है की किस प्रकार दुर्योधन की महत्वकांशा और लालच ने भाइयो के बीच आपसी  युद्ध को निमत्रण दिया.  लेकिन इस लेख में हम आपको महाभारत की कहानी नहीं बल्कि महाभारत के कुछ ऐसे रोचक तथ्य बताएँगे जिसके आपके बारे में आपने शायद नहीं सुना होगा.     एकलव्य का पुनर्जन्म था द्रौपदी का भाई धृष्टद्युम्न     क्या आप जानते है द्रोणाचार्य का वध करने वाले द्रौपदी के भाई धृष्टद्युम्न वास्तव में एकलव्य का पुनर्जन्म थे . कहानी के अनुसार जब भगवान कृष्ण ने विवाह हेतु  देवी रुक्मणी का अपहरण किया तब उनका सामना एकलव्य से हुआ. उस समय एकलव्य जरासंध के सेनापति थे. इस युद्ध में श्री कृष्ण के हाथो एकलव्य ने वीरगति प्राप्त की.  उस समय  कृष्ण ने उन्हें आशीर्वा...

अगर हनुमान जी के यह ९ रहस्य नहीं जानते तो अभी जान ले

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शास्त्रों अनुसार हनुमानजी इस धरती पर एक कल्प तक सशरीर रहेंगे। आओ जानते हैं उनके बारे में कुछ चमत्कारिक बातें।  हिन्दुओं के प्रमुख देवता हनुमानजी के बारे में कई रहस्य जो अभी तक छिपे हुए हैं। 1. हनुमानजी का जन्म स्थान : कर्नाटक के कोपल जिले में स्थित हम्पी के निकट बसे हुए ग्राम अनेगुंदी को रामायणकालीन किष्किंधा मानते हैं। तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाते समय मार्ग में पंपा सरोवर आता है। यहां स्थित एक पर्वत में शबरी गुफा है जिसके निकट शबरी के गुरु मतंग ऋषि के नाम पर प्रसिद्ध 'मतंगवन' था। हम्पी में ऋष्यमूक के राम मंदिर के पास स्थित पहाड़ी आज भी मतंग पर्वत के नाम से जानी जाती है। कहते हैं कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमानजी का जन्म हआ था। श्रीराम के जन्म के पूर्व हनुमानजी का जन्म हुआ था। प्रभु श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व अयोध्या में हुआ था। हनुमान का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन हुआ था। 2. कल्प के अंत तक सशरीर रहेंगे हनुमानजी : इंद्र से उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान मिला। श्रीराम के वरदान अनुसार कल्प का अंत होने पर उन्हें उनके सा...

कोई नहीं जानता भगवान शिवजी के बारे ये १० रोचक तथ्य

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कोई नहीं जानता भगवान शिवजी के बारे ये १० रोचक तथ्य 1- क्यों है भूत-प्रेत शिव के गण? शिव को संहार का देवता कहा गया है। अर्थात जब मनुष्य अपनी सभी मर्यादाओं को तोडऩे लगता है तब शिव उसका संहार कर देते हैं। जिन्हें अपने पाप कर्मों का फल भोगना बचा रहता है वे ही प्रेतयोनि को प्राप्त होते हैं। चूंकि शिव संहार के देवता हैं। इसलिए इनको दंड भी वे ही देते हैं। इसलिए शिव को भूत-प्रेतों का देवता भी कहा जाता है। दरअसल यह जो भूत-प्रेत है वह कुछ और नहीं बल्कि सूक्ष्म शरीर का प्रतीक है। भगवान शिव का यह संदेश है कि हर तरह के जीव जिससे सब घृणा करते हैं या भय करते हैं वे भी शिव के समीप पहुंच सकते हैं, केवल शर्त है कि वे अपना सर्वस्व शिव को समर्पित कर दें। 2- शिव अपने शरीर पर भस्म क्यों लगाते हैं? हमारे धर्म शास्त्रों में जहां सभी देवी-देवताओं को वस्त्र-आभूषणों से सुसज्जित बताया गया है वहीं भगवान शंकर को सिर्फ मृग चर्म (हिरण की खाल) लपेटे और भस्म लगाए बताया गया है। भस्म शिव का प्रमुख वस्त्र भी है क्योंकि शिव का पूरा शरीर ही भस्म से ढंका रहता है। शिव का भस्म रमाने के पीछे कुछ वैज्ञान...