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Showing posts from January, 2018

सुबह-सुबह यह मंत्र पढ़ने से मिलती है सफलता

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सफलता पाने के लिए जरूर पढ़े यह सभी मंत्र प्रात:कालीन प्रभावशाली मंत्र       अगर आप चाहते हैं हर दिन आपका शुभ और सफलतादायक हो तो बिस्तर से उठते ही अपने दोनों हाथों को आपस में रगड़ कर चेहरे पर लगाए और दिए गए मंत्रों में से किसी भी 1 मंत्र को बोलें।        आपका दिन उन्नतिदायक और प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा। 1 . ॐ मंगलम् भगवान विष्णु: मंगलम् गरूड़ध्वज:। मंगलम् पुण्डरीकांक्ष: मंगलाय तनो हरि।। 2 . कराग्रे वसते लक्ष्मी: कर मध्ये सरस्वती। करमूले गोविन्दाय, प्रभाते कर दर्शनम्। 3 . गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वर:। गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: 4 . करारविन्देन पदारविन्दं, मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्। वटय पत्रस्य पुटेशयानं, बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि।। 5. सी‍ताराम चरण कमलेभ्योनम: राधा-कृष्ण-चरण कमलेभ्योनम:। 6 . राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमै: सहस्त्रनाम तत्तुल्यं श्री रामनाम वरानने।   7 . माता रामो मम् पिता रामचन्द्र:  स्वामी रामो ममत्सखा सखा रामचन्द्र:...

जिनसे शिवजी होते हैं प्रसन्न वह शिव पूजा के 5 नियम

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        शिवशंकर की पूजा-अर्चना से कई जन्मों का फल प्राप्त होता है। यदि विधिविधान से पूजन किया जाए तो निश्चित ही मनोवांछित फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कि शिव पूजन में अर्पण किए जाने वाली एक अत्यंत महत्वपूर्ण वस्तु और सिद्ध पूजन विधि के बारे में... बिल्व पत्र शंकर जी को बहुत प्रिय हैं, बिल्व अर्पण करने पर शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मनमांगा फल प्रदान करते हैं। लेकिन प्राचीन शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव पर अर्पित करने हेतु बिल्व पत्र तोड़ने से पहले एक विशेष मंत्र का उच्चारण कर बिल्व वृक्ष को श्रद्धापूर्वक प्रणाम करना चाहिए, उसके बाद ही बिल्व पत्र तोड़ने चाहिए। ऐसा करने से शिवजी बिल्व को सहर्ष स्वीकार करते हैं। क्या है बिल्व पत्र तोड़ने का मंत्र- अमृतोद्धव श्रीवृक्ष महादेवप्रिय: सदा। गृहामि तव पत्रणि शिवपूजार्थमादरात्।। यह समय निषिद्ध है बिल्ब पत्र तोड़ने के लिए... हमेशा ध्यान रखें कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को, संक्रांति के समय और सोमवार को बिल्व पत्र कभी नहीं तोड़ने चाहिए। यदि पूजन करना ही हो एक दिन पहल...

एक अद्भुत चमत्कार, शिवलिंग पर अपने-आप ही होता है जलाभिषेक

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       देवभूमि भारत ऋषि-मुनियों की तपोभूमि और चमत्कारिक भूमि है। जब धरती पर देवी-देवता रहते थे, तो उस काल में उनके निर्देशन में धरती पर ऐसे स्थानों की खोज की गई जो धरती के किसी न किसी रहस्य से जुड़े थे या जिनका संबंध दूर स्थित तारों से था। इसी के चलते भारत में हजारों चमत्कारिक मंदिर और स्थान निर्मित हो गए जिनको देखकर आश्चर्य होता है। हर मंदिर से जुड़ी एक कहानी है जिसपर लोग आस्था रखते हैं। ऐसा ही एक शिव मंदिर है जहां शिवलिंग में अपने आप ही होता है जलाभिषेक।        झारखंड को राम के काल में दंडकारण्य का क्षेत्र कहा जाता था। यह उस काल में ऋषियों की तपोभूमि था। घने जंगलों से घिरे इस क्षे‍त्र में कई ऋषियों के आश्रम थे जहां देवता उनसे मिलने आते थे। इसी झरखंड के रामगढ़ जिले में एक चमत्कारिक शिवमंदिर है, जिसके बारें में कहा जाता है कि इसके चमत्कार को देखकर अंग्रेज काल में अंग्रेजों की आंखें फटी की फटी रह गई थी। इस मंदिर की कहानी और प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली है।         रामगढ़ में स्थित इस शिवमंदिर को प्राचीन मंदिर टूटी झरना के...

जानिए संचित कर्म क्या होते हैं?

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            धर्मशास्त्र और नीतिशास्त्रों में कहा गया है कि कर्म के बगैर गति नहीं। सनातन धर्म भाग्यवादियों का धर्म नहीं है। वेद, उपनिषद और गीता- तीनों ही कर्म को कर्तव्य मानते हुए इसके महत्व को बताते हैं। यही पुरुषार्थ है।श्रेष्ठ और निरंतर कर्म किए जाने या सही दिशा में सक्रिय बने रहने से ही पुरुषार्थ फलित होता है। इसीलिए कहते हैं कि काल करे सो आज कर। वेदों में कहा गया है कि समय तुमको बदले इससे पूर्व तुम ही स्वयं को बदल लो- यही कर्म का मूल सिद्धांत है। अन्यथा फिर तुम्हें प्रकृति या दूसरों के अनुसार ही जीवन जीना होगा।  #        धर्म शास्त्रों में मुख्‍यत: छह तरह के कर्म का उल्लेख मिलता है- 1.नित्य कर्म (दैनिक कार्य), 2.नैमित्य कर्म (नियमशील कार्य), 3.काम्य कर्म (किसी मकसद से किया हुआ कार्य), 4.निश्काम्य कर्म (बिना किसी स्वार्थ के किया हुआ कार्य), 5.संचित कर्म (प्रारब्ध से सहेजे हुए कर्म) और 6.निषिद्ध कर्म (नहीं करने योग्य कर्म)। # क्या है संचित कर्म? हिंदू दर्शन के अनुसार, मृत्यु के बाद मात्र यह भौतिक शरीर या देह...

जानिए रावण ने मरते समय श्री लक्ष्मण को कोनसी ३ बातें बताई थी

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      जिस समय रावण मरणासन्न अवस्था में था, उस समय भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा कि इस संसार से नीति, राजनीति और शक्ति का महान् पंडित विदा ले रहा है, तुम उसके पास जाओ और उससे जीवन की कुछ ऐसी शिक्षा ले लो जो और कोई नहीं दे सकता। श्रीराम की बात मानकर लक्ष्मण मरणासन्न अवस्था में पड़े रावण के सिर के नजदीक जाकर खड़े हो गए।        रावण ने कुछ नहीं कहा। लक्ष्मणजी वापस रामजी के पास लौटकर आए। तब भगवान ने कहा कि यदि किसी से ज्ञान प्राप्त करना हो तो उसके चरणों के पास खड़े होना चाहिए न कि सिर की ओर। यह बात सुनकर लक्ष्मण जाकर इस रावण के पैरों की ओर खड़े हो गए। उस समय महापंडित रावण ने लक्ष्मण को तीन बातें बताई जो जीवन में सफलता की कुंजी है। 1-   पहली बात जो रावण ने लक्ष्मण को बताई वह ये थी कि शुभ कार्य जितनी जल्दी हो कर डालना और अशुभ को जितना टाल सकते हो टाल देना चाहिए यानी शुभस्य शीघ्रम्। मैंने श्रीराम को पहचान नहीं सका और उनकी शरण में आने में देरी कर दी, इसी कारण मेरी यह हालत हुई। 2-   दूसरी बात यह कि अपने प्रतिद्वंद्वी, अपने शत्रु को कभी अप...

जानिए भगवान शिव क्यों कहलाते हैं रूद्र

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        रुद्र का शाब्दिक अर्थ होता है – रुत यानि दु:खों को अंत करने वाला। यही कारण है कि शिव को दु:खों को नाश करने वाले देवता के रुप में पूजा जाता है। व्यावहारिक जीवन में कोई दु:खों को तभी भोगताहै, जब तन, मन या कर्म किसी न किसी रूप में अपवित्र होते हैं। शिव के रुद्र रूप की आराधना का महत्व यही है कि इससे व्यक्ति का चित्त पवित्र रहता है और वह ऐसे कर्म और विचारों से दूर होता है, जो मन में बुरे भाव पैदा करे।        शास्त्रों के मुताबिक शिव ग्यारह अलग-अलग रुद्र रूपों में दु:खों का नाश करते हैं। यह ग्यारह रूप एकादश रुद्र के नाम से जाने जाते हैं। जानते हैं ऐसे ही ग्यारह रूद्र रूपों को – 1. शम्भू – शास्त्रों के मुताबिक यह रुद्र रूप साक्षात ब्रह्म है। इस रूप में ही वह जगत की रचना, पालन और संहार करते हैं। 2. पिनाकी – ज्ञान शक्ति रुपी चारों वेदों के के स्वरुप माने जाने वाले पिनाकी रुद्र दु:खों का अंत करते हैं। 3. गिरीश – कैलाशवासी होने से रुद्र का तीसरा रुप गिरीश कहलाता है। इस रुप में रुद्र सुख और आनंद देने वाले माने गए हैं। 4. स्थाणु – सम...

सोमवार के दिन इस तरह करें भोले नाथ को प्रसन्न, मिलेगी भय से मुक्ति

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            अगर सोमवार के दिन भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा की जाए तो सारे क्लेशों से मुक्ति मिलती है और मन की सारी मुरादें जरुर पूरी हो जाती हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार को सुबह उठकर स्नान करके भगवान शिव की आराधना करें।             हिन्दू शास्त्रों में सप्ताह का हर एक दिन किसी न किसी देवी-देवता की विशेष पूजा अर्चना के लिए रखा गया है। सप्ताह का पहला दिन यानि सोमवार का दिन भगवान शिव का माना जाता है। भगवान शिव जल्दी से प्रसन्न होने वाले देवता है और इनकी पूजा में किसी विशेष साम्रगी की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है।            भोले नाथ को चंदन, अक्षत, बिल्व पत्र, धतूरा या आंकड़े के फूल,दूध,गंगाजल बेहद ही प्रिय वस्तु होती है। इन्हें चढ़ाने से भगवान शंकर जल्दी प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं।            सोमवार के दिन भगवान शिवजी को घी, शक्कर, गेंहू के आटे से बने प्रसाद का भोग लगाना चाहिए। इसके बाद धूप, दीप से आरती करें।       ...

मकर संक्रांति के दिन भूलकर भी ना करें ये 10 काम, वरना...

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         वैसे तो पूरे साल में 12 बार संक्रांति होती है। दरअसल सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाना संक्रांति कहलाता है। लेकिन इन 12 संक्रांतियों में से सबसे महत्वपूर्ण होती है मकर संक्रांति। जिसे पूरे देश में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। मकर संक्रांति में सूर्य उत्तरायण होता है और ऐसे में इस समय किए गए दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है क्योंकि इनका फल कई गुना बढ़ जाता है। कहा जाता है कि यही वो समय है जब सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने आते हैं और शुक्र का उदय होने से इस काल को शुभ कार्यों की शुरुआत का समय भी माना जाता है। यही वजह है कि मकर संक्रांति के दिन जहां कई काम करने से शुभ फल मिलते हैं तो कई काम बिल्कुल ना करने को कहा जाता है। अपनी इस स्टोरी में हम आपको यही बता रहे हैं कि वो कौन से 10 काम हैं जो संक्रांति के दिन भूलकर भी नहीं करने चाहिए.... १. नहाने से पहले बिल्कुल ना करें ये काम-    कुछ लोगों की आदत होती है वह बिना नहाए चाय आदि पीकर बिस्किट या कोई स्नैक्स खा लेते हैं। अगर आप उन लोगों में से...

जानिये किस महीने में कौन-से शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए

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 जानिये किस महीने में कौन-से शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए              हिंदू धर्म में भगवान शिव से संबंधित अनेक ग्रंथ हैं, श्रीलिंग पुराण भी उनमें से एक है। इस ग्रंथ में भी भगवान शिव को प्रसन्न करने के अनेक उपाय बताए गए हैं। श्रीलिंग पुराण में ये भी बताया गया है कि किस महीने में किस रत्न से बने शिवलिंग की पूजा करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी हो सकती है।  आज हम आपको यही बता रहे हैं- 1. श्रीलिंग पुराण के अनुसार वैशाख के महीने में वज्र यानी हीरे से बने शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। 2. श्रीलिंग पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास में मरकत यानी पन्ने से निर्मित शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। 3. आषाढ़ के महीने में मोती से बने शिवलिंग की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। 4. श्रावण (सावन ) मास में नीलमणि यानी नीलम से बने शिवलिंग की पूजा से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। 5. भादौ में पद्मराग यानी पुखराज से बने शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए, ऐसा श्रीलिंग पुराण में लिखा है। 6. आश्विन यानी क्वांर मास में गोमेद से निर्म...