महाभारत से जुडी रोचक अनसुनी बाते जो आपको हैरान कर देंगी

महाभारत की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की आज भी आप हर एक दो साल बात महाभारत के ऊपर बने टीवी सीरियल को अलग अलग चैनल पर देख सकते है. कहानी वही होती है लेकिन दिखाने के तरीके अलग और फिर भी लोग इसे उतना ही पसंद करते है. हम सभी जानते है की किस प्रकार दुर्योधन की महत्वकांशा और लालच ने भाइयो के बीच आपसी युद्ध को निमत्रण दिया. लेकिन इस लेख में हम आपको महाभारत की कहानी नहीं बल्कि महाभारत के कुछ ऐसे रोचक तथ्य बताएँगे जिसके आपके बारे में आपने शायद नहीं सुना होगा.
एकलव्य का पुनर्जन्म था द्रौपदी का भाई धृष्टद्युम्न
क्या आप जानते है द्रोणाचार्य का वध करने वाले द्रौपदी के भाई धृष्टद्युम्न वास्तव में एकलव्य का पुनर्जन्म थे . कहानी के अनुसार जब भगवान कृष्ण ने विवाह हेतु देवी रुक्मणी का अपहरण किया तब उनका सामना एकलव्य से हुआ. उस समय एकलव्य जरासंध के सेनापति थे. इस युद्ध में श्री कृष्ण के हाथो एकलव्य ने वीरगति प्राप्त की. उस समय कृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया की अगले जन्म वह द्रोणाचार्य से अपना बदला ले सकेंगे.
महाभारत के लेखक वेदव्यास भी थे महाभारत के एक पात्र
जी हां. महाभारत की रचना करने वाले वेदव्यास भी महाभारत का ही एक भाग थे. राजा शांतनु से शादी करने से पहले सत्यवती का ऋषि पराशर द्वारा मिलन से जन्मा एक पुत्र था . कहानी के अनुसार ऋषि पराशर सत्यवती को देखकर मन्त्र मुग्ध हो गए और उनसे मिलना की इच्छा जाहिर की. पराशर को अनुमति देने से पहले, सत्यवती ने उनसे तीन इच्छाओं की मांग की; इनमें से एक थी कि उनके संघ से जन्मा पुत्र महान ऋषि के रूप में प्रसिद्ध हो. इसके बाद सत्यवती ने यमुना में एक द्वीप पर एक पुत्र को जन्म दिया। इस पुत्र को कृष्ण द्वैपायन कहा जाता था, जो बाद में वेदव्यास के नाम से प्रसिद्ध हुए – वेदों के संकलक और पुराणों और महाभारत के लेखक।
सभी कौरव नहीं थे पांडवो के खिलाफ
ऐसा नहीं है की सभी के सभी कौरव एक जैसे थे और पांडवो के विरुद्ध थे. धृतराष्ट्र के दो पुत्र, विकर्ण और युयुत्सु ने न सिर्फ दुर्योधन के गलत कार्यों पर आपति जताई बल्कि द्रोपदी चीरहरण का भी काफी विरोश किया. ये दोनों युद्ध के पक्ष में भी नहीं थे लेकिन भाई से धोखा न कर इन्होने मज़बूरी में युद्ध किया और वीरगति प्राप्त की.
यमराज का अवतार थे विदुर
धर्म शास्त्रों का ज्ञाता और धृतराष्ट्र के भाई और मत्री विदुर यमराज के अवतार माने जाते है. महाभारत के अनुसार माण्डव्य ऋषि के श्राप के कारण यमराज को इंसान के रूप में जन्म लेना पड़ा.
तो इसलिए भाग नहीं ले पाया दुर्योधन द्रौपदी स्वयंवर में
दुर्योधन मह्त्वकांशी होने के बावजूद भी अपने वचन का पक्का था. कथा के अनुसार दुर्योधन ने अपनी पत्नी भानुमती को वचन दिया था की वह कभी दूसरी शादी नहीं करेगा. उस काल में एक से ज्यादा शादी करने का प्रचलन था. इसके बावजूद दुर्योधन ने अपना वचन निभाया और कभी दूसरा विवाह नहीं किया.
हर हर महादेव
Comments
Post a Comment